दिनांक 29 जुलाई 2025 को थाना दिगौड़ा में प्रार्थिया मुन्नीबाई आदिवासी निवासी ग्राम रानीगंज द्वारा अपने पुत्र मोहन आदिवासी के गुम हो जाने संबंधी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
उक्त प्रकरण को पुलिस अधीक्षक श्री मनोहर सिंह मंडलोई द्वारा थाना प्रभारी दिगोड़ा को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए दस्तयाबी सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया ।
दिगोड़ा थाना प्रभारी उप निरीक्षक संदीप सोनी के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम द्वारा प्रारंभिक जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि मोहन आदिवासी दिनांक 06 जुलाई 2025 को अपने तीन साथियों — छोटू आदिवासी, टमपे उर्फ रामकिशन कुशवाहा एवं सूरज कुशवाहा — के साथ मजदूरी हेतु रानीगंज से रेवाड़ी (हरियाणा) गया था। वहां से दिनांक 09 जुलाई को कार्य पसंद न आने के कारण सभी मजदूरगण रेलवे स्टेशन रेवाड़ी पहुंच गए।
इसी दौरान मोहन आदिवासी की जेब से एक मोबाइल फोन (जो उसने टमपे कुशवाहा से चलाने हेतु लिया था) तथा ₹1100 नगद (जो सूरज कुशवाहा ने मोहन को रखने को दिए थे) अज्ञात व्यक्ति द्वारा चोरी हो गए। उपरोक्त दोनों युवकों द्वारा मोहन को उक्त सामान लौटाने अथवा पुलिस में रिपोर्ट की धमकी देने पर मोहन भयभीत होकर बिना किसी को बताए रेलवे स्टेशन से ग्वालियर चला गया।
ग्वालियर से मोहन ने अपने परिजनों को फोन कर सम्पूर्ण घटना की जानकारी दी तथा कुछ दिनों तक अपने रिश्तेदारों के यहां (दरगाएँ कलां व बिलगाएँ) रुका रहा।
👉विवेचना के दौरान संदेह होने पर पुलिस द्वारा तकनीकी एवं पारंपरिक माध्यमों से सघन तलाश की गई। तदुपरांत मोहन आदिवासी को दस्तयाब कर परिजनों के सुपुर्द किया गया। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि गुमशुदगी की सूचना वास्तविक न होकर भयवश घर से बिना बताए चले जाने की स्थिति थी, तथा प्रकरण में दर्ज रिपोर्ट असत्य थी।
💥इस सम्पूर्ण कार्रवाई में थाना दिगौड़ा के प्रभारी उप निरीक्षक श्री संदीप सोनी एवं पुलिस स्टाफ की सक्रियता व सतर्कता उल्लेखनीय रही।